Friday, 31 August 2018

इस मंदिर में मां की पिंडियों पर नहीं टिकती बर्फ, सीएम ने भी मांगी थी मन्नत - शिकारी देवी मंदिर

हिमाचल के मंडी जिले की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित मां शिकारी देवी अपने मंदिर में छत सहन नहीं करती है। माता शिकारी देवी खुले आसमान के नीचे विराजमान रहने में खुश रहती हैं। बारिश हो, आंधी हो, तूफान हो, मां खुले आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती हैं। रोचक पहलू तो यह है कि माता की पिंडियों पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती है। इस बार भी वैसा ही हुआ है। 16 नवंबर के बाद बर्फबारी हुई, लेकिन मां की पिंडियों पर बर्फ नहीं टिकी। &11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित माता शिकारी देवी मंदिर हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। शिकारी देवी मंदिर परिसर में चौसठ योगनियों का वास है जो सर्व शक्तिमान है। मंडी जनपद में शिकारी देवी को सबसे शक्तिशाली माना जाता है। देवी के दरबार में प्रदेश ही नहीं अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु देवी के दरबार शीश नवाने दूर दूर से पहुंचते हैं। शिकारी देवी मंदिर और शिकारी धार की मनोरम वादियां पर्यटकों और श्रद्धालुओं को खूब लुभाती है। बर्फबारी में माता शिकारी देवी में कड़ाके की ठंड पड़ने से देवी के मंदिर के कपाट करीब तीन माह के लिए बंद हो जाते हैं। जिससे माता तीन माह बर्फ में कैद रहती है। बर्फबारी में माता के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों पर प्रशासन प्रतिबंध लगाता है। मगर, माता के अनेक भक्त बर्फबारी में देवी से आशीर्वाद लेने के लिए शिकारी देवी में बर्फ में भी पहुंच जाते हैं।

बड़ा देव कमरूनाग रूठ जाएं तो पहुंच जाते हैं शिकारी देवी के पास



मंडी जिला के बड़ा देव कमरूनाग अगर रूठ जाएं तो वे अपने मूल मंदिर से निकल जाते हैं और माता शिकारी देवी के मंदिर में विराजमान हो जाते हैं। देवता के कारदारों और गूरों को देव कमरूनाग को बड़ी मुश्किल से शिकारी देवी मंदिर से मनाकर लाना पड़ता है। अब तक हजारों बार देव कमरूनाग रूठने पर माता शिकारी देवी के मंदिर में छिप चुके हैं। जब साजे के दिन देव कमरूनाग के मंदिर में कलया नहीं खपती है तो तब देवता के कारदारों को पता चलता है कि देव कमरूनाग मंदिर में नहीं है। फिर शिकारी देवी मंदिर में जाकर विधि विधान से देव कमरूनाग को मनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है और देवता को मूल मंदिर में लाया जाता है।

सीएम समेत कई नामी हस्तियों की मां के प्रति आस्था

sikhari devi

सीएम समेत कई नामी हस्तियों की मां के प्रति आस्था है। प्रदेश के मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह ने अपनी धर्मपत्नी के साथ देवी शिकारी के मंदिर पहुंचकर पुत्र प्राप्ति की मांग की थी। जिसके बाद उन्हें देवी की असीम कृपा से पुत्र प्राप्ति हुई थी।

रोप वे घोषणा की थी 

सराज दौरे के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने शिकारी देवी को रोप वे से जोड़ने का आश्वासन दिया था मगर अभी तक शिकारी देवी मंदिर के लिए रोप वे का निर्माण नहीं हो सकता है। वहीं अनेक सरकारें आईं और अनेक सरकारें गईं लेकिन आज दिन तक देवी शिकारी धार्मिक स्थल को न सरकार और न पर्यटन विभाग ने पर्यटन मानचित्र पर लाने का प्रयास किया है। माता शिकारी देवी के पुजारी सनु शर्मा ने कहा कि माता शिकारी देवी की मूर्ति पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती है। देवी की शक्ति से बर्फ मूर्तियों से दूर रहती है। माता शिकारी को छत भी पसंद नही है। जिससे मां खुले आसमान के नीचे ही विराजमान रहती है।

Source: शिकारी देवी मंदिर

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