Thursday, 22 February 2018
जो शेर मां दुर्गा को अपना आहार बनाने आया था, वह मां की सवारी कैसे बना?
जब शिव के मजाक से नाराज हुईं देवी
इस कठोर तपस्या के बाद शिव तथा पार्वती का विवाह भी हुआ एवं संतान के रूप में उन्हें कार्तिकेय एवं गणेश की प्राप्ति भी हुई। एक कथा के अनुसार भगवान शि व से वि्वाह के बाद एक दि न जब शि व, पार्वती साथ बैठे थे तब भगवान शिहव ने पार्वती से मजाक करते हुए काली कह दििया।तपस्या में मग्न थीं देवी
देवी पार्वती को शिंव की यह बात चुभ गई और कैलाश छोड़कर वापस तपस्या करने में लीन हो गईं। इस बीच एक भूखा शेर देवी को खाने की इच्छा से वहां पहुंचा। लेकिोन चमत्कार तो देखिए... देवी को तपस्या में लीन देखकर वह वहीं चुपचाप बैठ गया।तब आया एक शेर
ना जाने क्यों शेर देवी के तपस्या को भंग नहीं करना चाहता था। वह सोचने लगा कि देवी कब तपस्या से उठें और वह उन्हें अपना आहार बना ले। इस बीच कई साल बीत गए लेकिेन शेर अपनी जगह डटा रहा।कई वर्षों तक बैठा रहा
कई वर्ष बीत गए लेकिन माता पार्वती अभी भी तपस्या में मग्न ही थीं, वे तप से उठने का फैसला किसी भी हाल में लेना नहीं चाहती थीं। लेकिन तभी शिव वहां प्रकट हुए और देवी को गोरे होने का वरदान देकर चले गए।शिवजी ने दिया वरदान
थोड़ी देर बाद माता पार्वती भी तप से उठीं और उन्होंने गंगा स्नान किया। स्नान के तुरंत बाद ही अचानक उनके भीतर से एक और देवी प्रकट हुईं। उनका रंग बेहद काला था।उन्हें गोरी बना दिया
उस काली देवी के माता पार्वती के भीतर से निकलते ही देवी का खुद का रंग गोरा हो गया। इसी कथा के अनुसार माता के भीतर से निकली देवी का नाम कौशिकी पड़ा और गोरी हो चुकी माता सम्पूर्ण जगत में ‘माता गौरी’ कहलाईं।दुर्गा माता ने देखा शेर को
स्नान के बाद देवी ने अपने निकट एक सिंह को पाया, जो वर्षों से उन्हें खाने की ललक में बैठा था। लेकिन देवी की तरह ही वह वर्षों से एक तपस्या में था, जिसका वरदान माता ने उसे अपना वाहन बनाकर दिया।बनाया अपनी सवारी
देवी उस सिंह की तपस्या से अति प्रसन्न हुई थीं, इसलिए उन्होंने अपनी शक्ति से उस सिंह पर नियंत्रण पाकर उसे अपना वाहन बना लिया।
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