Jai Saraswati Maa |
माँ सरस्वती हमारे जीवन की जड़ता को दूर करती हैं,
सिर्फ हमें उसकी योग्य अर्थ में उपासना करनी चाहिए। सरस्वती का उपासक भोगों का
गुलाम नहीं होना चाहिए। वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती के पूजन का भी
विधान है।
कलश की स्थापना करके गणेश, सूर्य, विष्णु तथा
महादेव की पूजा करने के बाद वीणावादिनी माँ सरस्वती का पूजन करना चाहिए। सुविधा के
लिए माँ सरस्वती के आराधना स्तोत्र उपलब्ध हैं।
माँ सरस्वती हमारे जीवन की जड़ता को दूर करती हैं, सिर्फ हमें उसकी योग्य अर्थ में उपासना करनी चाहिए। सरस्वती का उपासक भोगों का गुलाम नहीं होना चाहिए। वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती के पूजन का भी विधान है।
माँ सरस्वती हमारे जीवन की जड़ता को दूर करती हैं, सिर्फ हमें उसकी योग्य अर्थ में उपासना करनी चाहिए। सरस्वती का उपासक भोगों का गुलाम नहीं होना चाहिए। वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती के पूजन का भी विधान है।
सरस्वती प्रार्थना:-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल,
चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण
करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन
ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं,
वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें॥1॥
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